उपकार की अनुभूति
माता अपना सर्वास्वा लगाकर बच्चे का निर्माण करती है
पिता कठिनतम परिस्थितियों में रक्षा को तत्पर रहते हैं
माता रात दिन परमार्थ सेवाभाव से पालन पोषण करती हैं
पिता अपना सर्वस्व बच्चे के विकास पर न्योच्छ्यावर करते हैं
जहाँ माता करुना भाव से बच्चे को लड़ प्यार से बढाती हैं
वहा पिता कठोरता से अनुशासन का पाठ पढाते हैं
माता अपनी इच्च्चा आकांक्षाएं त्यागकर सदैव सेवामग्न रहती है
पिता अपने भविष्य का ख्याल रखे बिना आकांक्षाएं पूरी करते हैं
माता उत्तम नागरिक बनाने का सपना संजो संस्कारित करती हैं
पिता अपनी सफलता उसके भविष्य में देख ऊंची उदान भ-राते हैं
क्या बताऊँ यारो, माता-पिता के उपकार कभी उतारे नही जा सकते,
कई-कई जिंदगियाँ जीकर उनके पैरों की ज्यूतियाँ बनकर भी !
+++++डाक्टर आशीष मनोहर उरकुडे
Forever Denlightened self & every entity across multiple universes by walking the talk full of ethics & values, is the objective of this blog. Thanks & best wishes to all the URL on Blog. Gratitude to 125+ million people from 175 countries for reading Solution Master e Free Book which claims that Achieving Sustainable Development Goals is possible on earth or everywhere. May God Bless Us All. Whether you hate me, Whether you love me, I am going to Contribute, Contribute,Contribute.
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