Friday, November 16, 2007

उपकार की अनुभूति

उपकार की अनुभूति
माता अपना सर्वास्वा लगाकर बच्चे का निर्माण करती है
पिता कठिनतम परिस्थितियों में रक्षा को तत्पर रहते हैं
माता रात दिन परमार्थ सेवाभाव से पालन पोषण करती हैं
पिता अपना सर्वस्व बच्चे के विकास पर न्योच्छ्यावर करते हैं
जहाँ माता करुना भाव से बच्चे को लड़ प्यार से बढाती हैं
वहा पिता कठोरता से अनुशासन का पाठ पढाते हैं
माता अपनी इच्च्चा आकांक्षाएं त्यागकर सदैव सेवामग्न रहती है
पिता अपने भविष्य का ख्याल रखे बिना आकांक्षाएं पूरी करते हैं
माता उत्तम नागरिक बनाने का सपना संजो संस्कारित करती हैं
पिता अपनी सफलता उसके भविष्य में देख ऊंची उदान भ-राते हैं
क्या बताऊँ यारो, माता-पिता के उपकार कभी उतारे नही जा सकते,
कई-कई जिंदगियाँ जीकर उनके पैरों की ज्यूतियाँ बनकर भी !
+++++डाक्टर आशीष मनोहर उरकुडे

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